परिचय: मुनि तरुण सागर जी

पूर्व नाम:  श्री पवन कुमार जैन, जन्म तिथि: २६ जून १९६७ ग्राम गुहजी (जि.दमोह ) (म. प्र.) माता-पिता: महिलारत्न श्रीमती शांतिबाई जैन एवं श्रेष्ठ श्रावक श्री प्रताप चन्द्र जी जैन !
शिक्षा: माध्यमिक शाला तक, गृह - त्याग: ८ मार्च १९८१, छुल्लक दीक्षा: १८ जनवरी १९८२, अकलतरा ( छत्तीसगढ़) में मुनि- दीक्षा: २० जुलाई १९८८, बागीदौरा (राज.), दीक्षा गुरु: आचार्य पुष्पदंत सागर जी!
मुनि लेखन: हिन्दी, बहुचर्चित कृति: मृत्यु- बोध मानद-उपाधि: 'प्रज्ञा-श्रमण आचार्यश्री पुष्पदंत सागरजी द्वारा प्रदत प्रख्यायती: क्रांतिकारीसंत !
कीर्तिमान: आचार्य भगवंत कुन्दकुन्द के पश्चात गत दो हज़ार वर्षो के इतिहास मैं मात्र १३ वर्ष की आयु में जैन सन्यास धारण करने वाले प्रथम योगी! राष्ट्र के प्रथम मुनि जिन्होंने लाल किले (दिल्ली) से सम्बोधा! जी.टी.वी. के माध्यम से भारत सहित १२२ देशों में'महावीर-वाणी' के विश्व -व्यापी प्रसारण की ऐतिहासिक शुरुआत करने का प्रथम श्रेय!
मुख्य-पत्र: अहिंसा - महाकुम्भ (मासिक)
आन्दोलन: कत्लखानों और मांस -निर्यात के विरोध में निरंतर अहिंसात्मक राष्ट्रीय आन्दोलन !
सम्मान: ६ फरवरी २००२ को म.प्र. शासन द्वारा' राजकीय अतिथि ' का दर्जा!
२ मार्च , २००३ को गुजरात सरकार द्वारा ' राजकीय अतिथि 'का सम्मान!
साहित्य: तीन दर्जन से अधिक पुस्तके उपलब्ध और उनका हर वर्स लगभग दो लाख प्रतियों का प्रकाशन! राष्ट्रसंत: म. प्र. सरकार द्वारा २६ जनवरी, २००३ को दशहरा मैदान,  इंदौर में !
संगठन: तरुण क्रांति मंच केन्द्रीय कार्यालय दिल्ली में देश भर में इकाईया !
प्रणेता: तनाव मुक्ति का अभिनव प्रयोग 'आंनंद- यात्रा' कार्यक्रम के प्रणेता !
प्रवचन अपनी नायाब प्रवचन शैली के लिए देसभर में विखाय्त जैन मुनि के रूप में पहचान!
मिशन: भगवान महावीर और उनके सन्देश " जियो और जीने दो " का विश्व व्यापी प्रचार -प्रसार एवं जीवन जीने की कला प्रशिक्षण !