किसी प्यासे को पानी पिलाना, द्धार पर आए भूखे को एक बार का भोजन कराना, दीन-दुखी जीवो को सहारा देना, मीठे बोल बोलकर दूसरे के दुःख में सहज सहानुभूति व्यक्त करना, स्नेहपूर्वक दूसरे को मात्र देख लेना भी उसके लिए किसी जागीर मिल जाने से कम नहीं हैं !
- मुनि श्री क्षमा सागर जी महाराज
- मुनि श्री क्षमा सागर जी महाराज