जैन

चलता रहा हुं अग्निपथ पर चलता चला जाऊँगा। जैन बन कर जन्म लिया मैंने जैन बन कर ही मर जाऊंगा। भगवान् महावीर की संतान हूँ, रुकना मैंने सीखा नहीं। वर्धमान का भक्त हूँ, झुकना मैंने सीखा नही। ह्रदय में जो धड़क रहा है, वो धड़कन तेरे नाम का रगो में जो बह रहा है, वो लहू है महावीर भगवान् का।