भगवान पर भरोसा रखें, लेकिन भगवान भरोसे न रहे। - आचार्य श्री विद्यासागर जी
प्रवचन के समय मोबाइल से बेवजह फोटो खींचे जाने पर आचार्यश्री ने मोबाइल के दुरुपयोग और इसके अनावश्यक अप्पव्य पर सतर्क किया।
रविवारीय प्रवचन श्रंखला में आचार्य श्री ने आज चंद्रगिरि डोंगरगढ़ में मांगलिक उपदेश देते हुये एक दृष्टान्त के माध्यम से बताया कि एक बार तीन व्यक्ति वाहन से यात्रा कर रहे थे असंतुलन बिगड़ने के कारण वे दुर्घटना ग्रस्त हो जाते है। जिसके कारण तीनो के पैर टूट जाते है। और उन्हे चिकित्सक के पास ले जाया जाता है चिकित्सक मरीज़ों से कहते है उन्हें भरोसा है कि वे ठीक हो जाएंगे। लेकिन उन्हें भरोसा रखते हुए पुरुषार्थ भी करना होगा चिकित्सक उनके पैरों में लेप लगाकर उस पट्टा चढ़ा देते है। लेकिन निर्धारित समय पर पट्टा खोलने पर पता चलता है उसकी हड्डी तो जुडी ही नही
प्रवचन के समय मोबाइल से बेवजह फोटो खींचे जाने पर आचार्यश्री ने मोबाइल के दुरुपयोग और इसके अनावश्यक अप्पव्य पर सतर्क किया।
रविवारीय प्रवचन श्रंखला में आचार्य श्री ने आज चंद्रगिरि डोंगरगढ़ में मांगलिक उपदेश देते हुये एक दृष्टान्त के माध्यम से बताया कि एक बार तीन व्यक्ति वाहन से यात्रा कर रहे थे असंतुलन बिगड़ने के कारण वे दुर्घटना ग्रस्त हो जाते है। जिसके कारण तीनो के पैर टूट जाते है। और उन्हे चिकित्सक के पास ले जाया जाता है चिकित्सक मरीज़ों से कहते है उन्हें भरोसा है कि वे ठीक हो जाएंगे। लेकिन उन्हें भरोसा रखते हुए पुरुषार्थ भी करना होगा चिकित्सक उनके पैरों में लेप लगाकर उस पट्टा चढ़ा देते है। लेकिन निर्धारित समय पर पट्टा खोलने पर पता चलता है उसकी हड्डी तो जुडी ही नही
फिर दूसरे मरीज का पट्टा खोलने पर चिकित्सक को विश्वास होता है की इस मरीज का पैर अब ठीक हो गया है वह उसे उठकर चलने को कहा जाता है पर मरीज का जो पैर टुटा नहीं था वह उसे उठाता पर जो पैर टुटा था उसे नहीं उठा पाता है इसकी वजह उसे चिकित्सक पर भरोसा तो था लेकिन वह पुरुषार्थ करना नही चाहता था। आचार्य श्री ने कहा की मरीज को चिकित्सक एवं औषधि में विश्वास होना आवश्यक है तभी ईलाज संभव है | किसी भी काम को समय पर करना ही उसकी सार्थकता है | धर्म काँटा में पलड़े को नहीं कांटे पर नज़र रखना पड़ता है और कांटे की जगह फूल नहीं ले सकता इसलिए धर्मकांटे में कांटे की ही सार्थकता होती है | तीसरे मरीज को जल्दी ठीक होना है क्योंकि वो एक क्रिकेट खिलाडी है और उसे दो दिन बाद ही खेलना है | वह Fast Relief चाहता है |
गलती मनुष्य से होती है परन्तु वही गलती दोबारा ना हो इसके लिए पुरुषार्थ की आवश्यकता होती है | समय रहते घांव भर जाता है आचार्यश्री ने कहा Time is the best healer* एक बार हड्डी टूट जाये तो जुड़ सकती है परन्तु वही हड्डी दोबारा टूटे तो उसका जुड़ना कठिन हो जाता है |
प्रस्तुति - राजेश जैन भिलाई