तांत्रिक और नवकार मन्त्र

एक नगर में एक अजैन तांत्रिक बाबा था । उसने कभी गुरुमुख से णमोकार महामंत्र और उसके प्रभाव सुने थे । उसे न जाने ऐसा क्या लगा वह इसे नियमित जपने लगा। महामंत्र में उसकी दृढ श्रद्धा दिनोदिन बढ़ती रही और सुनते है उसे यह मंत्र सिद्ध हो गया था। इसके प्रभाव से वह भयंकर विषधर साँप को सामान्य रस्सी की तरह पकड़ लेता था।  इस मंत्र की सिद्धि की शक्ति से वह झाड़ फूंक कर सिर पर हाथ फेरता था जिससे बड़े बड़े रोग समस्याएं दूर हो जाती थी दूर दूर से उपचार करवाने उसके घर में लोगो का तांता लगा रहता था। लेकिन यह तांत्रिक सिर्फ अजैनो का ही उपचार करता था। यदि कोई जैन आ जाए तो उसे धक्के मारकर भगा देता था। जैनों के प्रति इस तांत्रिक की इस क़दर नफरत थी कि कई बार वह जैनों को गाली गलौज करके भगा देता था और उनके जाने के बाद घर को पानी से धोकर शुद्ध करता था। जैनों के प्रति इस नफरत से कई अजैनो को भी बुरा लगता था। एक बार कुछ लोगो ने एकसाथ मिलकर तांत्रिक से मिलकर उसकी गलतफहमी दूर करने का विचार किया। चूंकि वह जैनों को अपने घर की सीढ़ी पर ही पैर नही रखने देता था सो इस बार इसे एक सार्वजनिक स्थान पर रोक कर अपनी बात रखी।
आपकी हम जैनों से इतनी क्यों नफरत करते है, एक युवा जैन ने पूछा ?
तांत्रिक ने गुर्राते हुए कहा, मेरा वश चले तो मैं तुम लोगो को गोली से उड़ा दूँ।
फिर थोड़ा सामान्य होकर तांत्रिक ने पूछा आखिर तुम मुझे क्या समझते हो?
हम तो आपको एक सिद्ध तांत्रिक बाबा मानते है एक ने थोड़ा हिचकते हुए कहा।
तुम लोग समझते हो मेरे पास किसी देवी देवता, पीरबाबा या सिद्ध बाबा की शक्ति है न।
हां! हम इसी कारण तो आपसे उपचार कराने आते है ।
तुम्हारा कुल कौन सा है ?

क्या तुम्हारा कोई मन्त्र है ?
और क्या तुम्हे णमोकार मन्त्र आता है ?
जी हमारा जैन कुल है और हमारा मन्त्र णमोकार महामंत्र है और यह तो हमे बचपन से आता है।
जब तुम्हारा महामंत्र णमोकार है उसके बाद भी मेरे पास आते हो मतलब तुमको अपने आराध्य जिनेन्द्र देव, पंचपरमेष्ठी और णमोकार मन्त्र पर कोई श्रद्धा नही है।
अच्छा यह बताओ कि आपलोग जिस डॉक्टर से अपना उपचार कराते हो तो अचानक उसे क्यों बदल देते हो?
क्योकि उस डॉक्टर पर हमें भरोसा नही होता क्योकि उसकी दवाई से हमारी बीमारी दूर नही होती।
यानि आपको पंच परमेष्टि जिनेन्द्र देव और महामंत्र की शक्तियों का अहसास नही है और आप उनकी उपेक्षा करके तुम लोग मेरे पास आते हो ।
तो तुम सभी जैनी कान खोल कर सुन लो तुम जिस महामंत्र की उपेक्षा करके जिसे पीठ दिखा कर मेरे पास आये हो यही महामंत्र मेरी शक्ति है मेरी सिद्धि है इसी महामंत्र की अतिशयकारी शक्तियों की कृपा से मुझे उचाइयां मिली है और आप जैनी लोग मेरी शक्ति मेरी सिद्धि का अपमान करते हो इसलिए मेरे अतिशयकारी महामंत्र की उपेक्षा करने वाला मेरा दुश्मन है।
अंत एक बात और बताओ क्या कोई आपके बाप को गाली देता है तो क्या आप उसके घर भोजन करते हो।
सभी जैनों ने नही कहा
इसी तरह मेरी सिद्धि शक्ति का जो अपमान करता है वह मेरा निजी दुश्मन है।
अब तो ये अपने आपको जैनी मानने वाले पानी पानी होते अपना सिर झुकाए वहाँ से खिसक गए।
“सबसे शक्तिशाली मन्त्र अगर कोई हे तो वह सिर्फ नवकार मन्त्र हे, इसकी आराधना से जन्मो जन्म के बन्धनों से मुक्ति यानी मोक्ष सुख की प्राप्ति होती हे एवं आत्मबल को बढ़ावा भी मिलता हे।
जैन शाशन को छोड़ कही और सर जुकाने से मिथ्यात्वशल्य का पाप आत्मा पे लगता हे, इसीलिए मिथ्यादेव की आराधना से दूर रहे। तभी आपको सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन, सम्यक चरित्र की प्राप्ति होगी।


दुसरे जैनों को भी मिथ्यात्वशल्य के पाप से बचाने के लिए इस माहिती को आगे शेयर अवश्य करे ।
साभार: जैन अनुष्ठान ग्रुप