- आचार्य श्री ब्र. अवस्था में रोज साइकल चला कर चूलगिरि से 5 की. मी. दूर एक गाव में देश्भूषण जी महाराज के संघ की आहार चर्या हेतु दूध लेने जाते थे।
- आचार्य श्री की तराह संघ में सभी साधू और आर्यिका बाल ब्रह्मचारी है।
- विधासागरजी के दीक्षा संस्कार में हुकुमचंद जीलु हाडिया और उनकी पत्नी जतन कँवर बाई माता पिता बने थे।
- उन्होने इस हेतु उस समय (30 जून,1968) 25000/- की बोली ली थी।
- मुनि बन जाने के बाद विद्यासागर जी का प्रथम आहार भाग चंदसोनी (जैन), अजमेर के यहाँ हुआ।
- मुनि विद्यासागर जी का प्रथम चातुर्मास केसरगंज(अजमेर) में हुआ था।
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- 30-6-1973 को नसीराबाद मेंआचार्य ज्ञानसागर जी कीसमाधी हुई।
- आचार्य बनने के उपरांत विद्यासागर जी का प्रथम चतुर्मास व्यावर में हुआ।
- आचार्य श्री ने प्रथम दीक्षा छु. समयसागर, छु. योगसागर, छु. नियमसागर जी को 18 dec-1975 को सोनागिर में दी।
- माघ शुक्ल पंचमी, वि.सं.2032 को आचार्य धर्मसागर जी के हस्तकमलो से मुज्जफरनगर की पवन धरा पर मल्लपाजी, श्रीमतीजी, शांताजी, स्वर्णाजीकीदीक्षाहुइ (मल्लिसागरजी, समयमतिजी, नियममतिजी, प्रवचनमति जी)
- जैन गीता (समंसुत्तम) का पद्या नुवाद कुण्डलपुर चातुर्मास(1976) में आचार्य महाराज के कर कमलो द्वारा हुआ।
- आचार्य श्रीद्वारा प्रथम मुनि दीक्षा मुनि श्री समयसागर जी को दी गई, द्रोणगिरीतीर्थ में 7 मार्च 1980 को। एवं दूसरी और तीसरी दीक्षा मुनि योगसागर जी औरमुनि नियमसागरजी को मिली, 15 अप्रैल 1980 को सागर में।
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