शासन मिले ना ऋषभनाथ के बिना ।
विनय मिले ना अजितनाथ के बिना ।
संभव हो ना संभवनाथ के बिना ।
वन्दन मिले ना अभिनन्दन के बिना ।
समृद्धि मिले ना सुमतिनाथ के बिना ।
पदवी मिले ना पद्मनाथ के बिना ।
दया मिले ना सुपार्श्वनाथ के बिना ।
उजाला मिले ना चन्द्रप्रभ के बिना ।
सुविधि मिले ना सुविधिनाथ के बिना ।
ठंडक मिले ना शीतलनाथ के बिना ।
यश मिले ना श्रेयांसनाथ के बिना ।
पूजनीय बने ना वासुपूज्य के बिना ।
निर्मल बने ना विमलनाथ के बिना ।
शक्ति मिले ना अनंतनाथ के बिना ।
धर्म होवे ना धर्मनाथ के बिना ।
शांति मिले ना शान्तिनाथ के बिना ।
करुणा मिले ना कुंथुनाथ के बिना ।
आश्रय मिले ना अरनाथ के बिना ।
ममता मिले ना मल्लिनाथ के बिना ।
मुक्ति मिले ना मुनिसुव्रत के बिना ।
नरक मिटे ना नमिनाथ के बिना।
आनंद मिले ना अरिष्टनेमि के बिना ।
कमठ हारे ना पारसनाथ के बिना ।
चन्दना तिरे ना महावीर के बिना ।
विनय मिले ना अजितनाथ के बिना ।
संभव हो ना संभवनाथ के बिना ।
वन्दन मिले ना अभिनन्दन के बिना ।
समृद्धि मिले ना सुमतिनाथ के बिना ।
पदवी मिले ना पद्मनाथ के बिना ।
दया मिले ना सुपार्श्वनाथ के बिना ।
उजाला मिले ना चन्द्रप्रभ के बिना ।
सुविधि मिले ना सुविधिनाथ के बिना ।
ठंडक मिले ना शीतलनाथ के बिना ।
यश मिले ना श्रेयांसनाथ के बिना ।
पूजनीय बने ना वासुपूज्य के बिना ।
निर्मल बने ना विमलनाथ के बिना ।
शक्ति मिले ना अनंतनाथ के बिना ।
धर्म होवे ना धर्मनाथ के बिना ।
शांति मिले ना शान्तिनाथ के बिना ।
करुणा मिले ना कुंथुनाथ के बिना ।
आश्रय मिले ना अरनाथ के बिना ।
ममता मिले ना मल्लिनाथ के बिना ।
मुक्ति मिले ना मुनिसुव्रत के बिना ।
नरक मिटे ना नमिनाथ के बिना।
आनंद मिले ना अरिष्टनेमि के बिना ।
कमठ हारे ना पारसनाथ के बिना ।
चन्दना तिरे ना महावीर के बिना ।
साभार: बहन रेखा जैन
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