आप जैन है तो स्वाभाविक होगा आपका बच्चा किसी अच्छे स्कूल में पड़ रहा होगा । एक समय था जब गुरुकुल पद्दति से रहते हुए बालक पढ़ाई करता था जहां शिक्षा के साथ साथ संस्कार भी विशेष महत्वपूर्ण थे समय परिवर्तन हुआ गुरुकुल कम होकर विद्या के मंदिर जैसे संस्थान खुल गए जहां शिक्षा पँर अधिक लेकिन संस्कारो पर भी ध्यान दिया जाता था जैसे महावीर बाल विद्या मंदिर, सरस्वती शिशु मंदिर आदि आदि। समय परिवर्तन के साथ साथ शिक्षा पद्दति में आये बदलाव ने तो जैसे संस्कारो की नींव ही हिला कर रख दी है।
वर्तमान में चल रही शिक्षा पद्दति में हमे बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिये दी जाने वाली शिक्षा पर तो ध्यान दिया जाता है मगर अति व्यस्तता की बात कह कर संस्कारो से समझौता कर लिया जाता है इसलिये आज के समय मे बच्चे धर्म को नजदीक से नही जान पा रहे है और धर्म से मिलने वाले संस्कारो से विमुख होते जा रहे है यह बात परिवारों के साथ साथ समाज के लिये भी चिंतनीय है।
पूज्य मुनि श्री अभय सागर जी महाराज ने अत्यंत करुणा भाव से समाज के गिरते हुए संस्कारिक स्तर को ऊपर उठाने के लिये पर्युषण पर्व को सहायक बताया है । प्रभु आराधना ओर गुरु भक्ति वचनामृत का लाभ लेकर हम पर्युषण पर्व के दिनों में संस्कारों का सृजन कर सकते है चूंकि उन्ही दिनों में कुछ स्कूलों में बच्चों की परीक्षाएं भी पड़ रही है सो बच्चों को संस्कारो को देने वाली माता भी बच्चों के साथ साथ परीक्षा की चिंता से ग्रषित होकर धर्म से मिलने वाले संस्कारो को ग्रहण नही कर पाती।
इसलिये मुनि श्री की मौजूदगी में जैन समुदाय की एक समिति ने ललितपुर नगर की सभी शिक्षण संस्थानों में जाकर संपर्क किया और उनसे निवेदन किया कि पर्युषण पर्व के दौरान अपने अपने संस्थानों में परीक्षा ना कराये जिसे सभी संस्थानों ने एक राय होकर सहमति दी और आस्वाशन भी दिया कि इन दिनों में हम अपने स्कूलों में परीक्षाएं नही करवाएंगे ताकि प्रथम संस्कार प्रदात्री माता अपने धर्म को बखूबी करते हुए पात्र को मिलने वाले संस्कारो से ओत प्रोत कर सके।
हमे आशा है ललितपुर समाज की ही तरह आप भी अपने गाँव, नगर, कस्बा, शहर आदि में चल रहे स्कूलों में संपर्क कर पर्युषण के दिनों में होने वाली परीक्षाओं को आगे पीछे करा कर सम्पन्न करावे ताकि बच्चों की माता बगैर किसी चिंता के धर्माराधना कर सके।
आप की सुबिधा के लिये हम आपको पत्र का प्रारूप साथ मे दे रहे है जिसे पड़ कर आप फोटो प्रिंट करा कर स्कूलों में देकर अपने बच्चों को धर्म द्वारा मिलने वाले संस्कारो में सहायक बने।
मुनि श्री अभय सागर जी महाराज ससंघ के श्री चरणों मे सादर नमन।
प्राचार्य महोदय / महोदया
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विषय :- जैन धर्म के दशलक्षण (पर्युषण) पर्व भाद्रपद शुक्ल पंचमी - दि. २६/०८/२०१७ से भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी - दि. ०५/०९/२०१७ के दौरान परीक्षा न रखे जाने के लिए निवेदन।
आदरणीय,
भारत एक धर्म प्रधान राष्ट्र है और अध्यात्म के क्षेत्र में प्राचीन काल से ही विश्व गुरु रहा है। नैतिक शिक्षा के प्रचार-प्रसार और अभ्यास के क्षेत्र में धर्म ने हमेशा सर्वोच्च योगदान दिया है। अध्यात्म के द्वारा छात्रों में आत्मविश्वास जगता है और वे मानसिक रूप से मजबूत और सहनशील बनते हैं। परन्तु वर्तमान में नई पीढ़ी के छात्र स्कूल की पढाई, होमवर्क और ट्यूशन के बोझ तले इतने व्यस्त हो जाते हैं कि वे धर्म और अध्यात्म के लिए समय नहीं दे पा रहे हैं। इसकी वजह से जहाँ उनका नैतिक पतन हो रहा है, वहीँ उनमें आत्मविश्वास की कमी महसूस की जा रही है।
वर्तमान के छात्रों को धार्मिक क्रियाएँ एवं आध्यात्मिक ज्ञान के अवसर प्रदान करने की अति आवश्यकता है। जैन और हिन्दू शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद माह अर्थात् अगस्त – सितम्बर, जिसमें की जैनों के दशलक्षण (पर्युषण) पर्व और हिन्दुओं का गणेश उत्सव भी होता है, इनके लिए सबसे अनुकूल समय माना जाता है। इस वर्ष दशलक्षण (पर्युषण) पर्व दि. २६/०८/२०१७ से दि. ०५/०९/२०१७ तक रहेंगे।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जबकि हमारे बच्चे नैतिक, आध्यात्मिक और धार्मिक मूल्यों से वंचित हैं, ऐसे में उन्हें आवश्यकता है कि वे इस अवसर का अधिक से अधिक लाभ लें और इन स्थापित मूल्यों को आत्मसात करें। परन्तु इस दौरान विद्यालय द्वारा अगर किसी भी प्रकार की परीक्षायें रखी जाती हैं तो सभी बच्चे इस महत्त्वपूर्ण अवसर से वंचित रह जायेंगे।
अत: समस्त जैन समाज आपसे विन्रम निवेदन करता है कि यदि इस दौरान परीक्षायें रखी गयी हों, तो उन्हें इस पर्व के दिनों से पूर्व में या पश्चात् में रखी जावें। इसी के यह भी निवेदन है अगले वर्षों में परीक्षा की तिथियाँ भाद्रपद शुक्ल पंचमी से भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी रूप इन पर्व के दिनों को ध्यान में रखते हुये इनसे पहले या इनके पश्चातवर्ती दिनों की तय की जायें।
आपके इस सहयोग के लिए सारा जैन समाज आपका सदा आभारी रहेगा।
धन्यवाद
दिनांक भवदीय
⇓ CBSE Board ⇓
To,
The Principal
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Subject :- Request regarding not to schedule quarterly examinations between Bhadrapad Sukla Panchami 26th August, 2017 to Bhadrapad Sukla Chaturdashi 5th September, 2017.
Respected Sir,
Bharat/India has been the spiritual teacher to the world and the genesis of spirituality lies in strict observance and sincere belief in the teachings of religions since ancient times. Religion has always been the supreme “Moral science teacher” providing inner strength and confidence in tough times.
A good teaching nourishes under a good cultural environment. Our children are lacking in moral science etiquettes and inner strength. So the children need at present to be provided opportunity to learn these values from spiritual practices. The month of “Bhadrapad” is the most sacred period for religious teachings, rites and practices. The famous festival “Dashalakshan (Paryushan) Parv” of Jains and “Ganesh Utsav” of Hindus occur in this month from 26th August, 2017 to 5th September ,2017.
In the present time when the children are deprived of moral, spiritual and religious teachings , they need to make the best of this opportunity and imbibe these values as much as possible. But if the examinations are scheduled with in this period, the children will loose the opportunity to develop their personality.
Thus, the all Jain samaj requests you to kindly either prepone or postpone the quarterly exams beyond these dates, if at all they are scheduled in between. We also request you to prepare schedule for examination forthcoming years, keeping this aspect in to account and consideration. All Jain samaj will be thankful to you for co-operation for being considerate and understanding.
Thanking you
Date Place Yours Sincerely
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