भूल हो जाना मानव मात्र का स्वभाव है लेकिन क्षमा करना देवीय स्वभाव है। अधिकांश बातें ऐसी होती है जिनका क्षमा कर देने से अंत हो जाता है। क्षमा देकर जख्मो को भूल जाना बेहतर है क्योंकि याद रखने लायक ओर बहुत कुछ है। हमारा अहंकार हमे क्षमा मांगने से रोकता है ओर तिरस्कार क्षमा देने में बाधक बनता है।
छोटा सा संसार, गलतियां अपार, आपके पास है क्षमा का अधिकार, कर लीजिए हमारा निवेदन स्वीकार सबसे क्षमा सबको क्षमा उत्तम क्षमा।
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