वैवाहिक संबंध

वर्तमान संदर्भ में अत्यन्त उपयोगी एवम आंखें खोलने बाला भावना प्रधान संक्षिप्त लेख

थोडी कसेली लगेगी मेरी पोस्ट फिर भी मनन करना।

35 वर्ष हो गए हमे सम्मेलन आयोजित करते हुए, सामाजिक कार्य करते हुए। वैवाहिक संबंधों को बहुत निकट से देखा, अनेको निराकरण  कराए, कुछ विच्छेद भी कराए।

मेरा अनुभव-- प्रत्येक माता पिता को अपना पुत्र सुकुमार ओर पुत्री सुकन्या नज़र आती है आवश्यकता है वास्तविकता समझने की।
जितने बच्चे अपने गृहक्षेत्र से अथवा परिवार से विमुख होकर अन्यत्र चकाचोंध से प्रभावित होकर जीविकोपार्जन हेतु गए है, उन बच्चों के वैवाहिक जीवन में संघर्ष का प्रतिशत हमे ज्यादा अनुभव हुआ।
जैन परिवार आर्थिक रूप से मध्यम-मध्यम या उच्च-मध्यम श्रेणी के पाए जाते है। उच्च श्रेणी की संख्या उंगलियों पर गिनी जा सकती है। बड़े शहरों में एक लाख रुपयों का उपार्जन अपने निवास के शहरों के 35000 के बराबर हमने अनुभव किया है। अतः इस आकर्षण को त्यागे। होमटॉउन में व्यापार कर रहे बच्चे भी योग्य ही होते है।
बड़े शहरों का आकर्षण ओर लाइफ स्टाइल से प्रभावित ना हो।
अब वो समय आगया है जब बड़ी कम्पनियों में बड़ी पोस्ट पर कार्यरत बच्चों को एक नोटिस पर घर भेज दिया जाता है।
पुत्री के अभिभावक इसे समझे कि दूर ब्याही गयी बेटी के दुख में आप कब और कितनी बार पहुच पाओगे??मोबाइल आपको वास्तविक सत्य से अवगत कराएं यह जरूरी नही है।
में अनेको ऐसे समृद्ध परिवारों को जानता हूं जिन्होंने उच्च की अभिलाषा में अपने बच्चों की उम्र इतनी हो जाने दी कि बाद में उनका विवाह समझौता ही हुआ।
सम्मेलन, ब्यूरो,नेट, मेट्रोमोनियल साईट सिलेक्शन में सहयोगी हो सकते है, पर विवाह वे ही अच्छे सफल हुए जहां इस संबंध में कोई पारिवारिक मध्यस्थ मिल गया हो या सामने वाला परिवार अपना जाना बिना हो। यहाँ मेरा कथन ये नही है कि अन्य सम्बन्ध असफल ही हुए बल्कि कथन है अच्छे सफल दूसरा ये कम्प्यूटर ने भी बहुत समस्या उतपन्न कर दी है बायोडेटा गया नही की बच्चे लगे मिलाने। ये कम्प्यूटर या पंडितो की मिलाई कुण्डलिया विवाह में सहयोगी नही बाधक है। इससे बचिए।
अपने निकट, अपने परिचितों में, सुलभ पहुच में सम्बन्ध तलाशिये। जहां विपरीत परिस्थितियों में कोई दबाव बनाने वाला हो, आप पहुच सकते हो। जहां निगरानी का डर हो वहां विवाहेत्तर सम्बन्ध की संभावना नगण्य है, कोई समस्या हो भी तो आप या रिश्तेदार यथासमय दुरुस्त तो कर सकते हो।
अगर सम्बन्ध बहुत दूर भी हो तो भी पैकेज का आकर्षण परे रख कर पूरी जांच पड़ताल करिए, पारिवारिक मध्यस्थ ढूंढे, संतुष्टि होने पर ही सम्बन्ध कीजिए।
हमारे अनुसार अत्यंत दूर के इक्कीसे सम्बंध से निकट का जाना पहचाना बीसा सम्बन्ध श्रेष्ठ है।
कुछ कटु लगे तो क्षमा करें।
सुरेन्द्र जैन बाकलीवाल
अध्यक्ष
दिगम्बर जैन मैरेज ब्यूरो, इंदौर
अंतर्गत
दिगम्बर जैन महासमिति