सोनागिरि: ग्वालियर झाँसी लाइन पर सोनागिरि स्टेशन से 2 मील श्रमणाचल पर्वत है। पहाड़ पर 77 दिगंबर जैन मंदिर हैं। वहाँ से नंगानंगकुमार आदि साढ़े पाँच सौ करोड़ मुनि मोक्ष गए हैं।
पपौरा: ललितपुर से 36 मील और टीकमगढ़ से 3 मील है। चारों ओर कोट बना है। यहाँ लगभग 90 मंदिर हैं। कार्तिक सूदी 14 को मेला भरता है।
चन्देरी: ललितपुर से 24 मील। वहाँ से मोटर जाती है। यहाँ की चौबीसी भारतवर्ष में प्रसिद्ध है।
पचराई:चन्देरी से 24 मील खनियाधाना स्थान है। वहाँ से 8 मील पर पचराई गाँव है। यहाँ पर 28 जिन मंदिर हैं।
पचराई:चन्देरी से 24 मील खनियाधाना स्थान है। वहाँ से 8 मील पर पचराई गाँव है। यहाँ पर 28 जिन मंदिर हैं।
थूबौन: चन्देरी से आठ मील। यहाँ 25 मंदिर हैं। भगवान शांतिनाथ की 20 फुट उत्तुंग मूर्ति अपनी विशालता के लिए प्रसिद्ध है।
अतरिक्ष पार्श्वनाथ: सेंट्रल रेलवे के अकोला (बरार) स्टेशन से लगभग 40 मील पर शिवपुरी नाम का गाँव है। गाँव के मध्य धर्मशालाओं के बीच में एक बहुत बड़ा प्राचीन विशाल दुमंजिला जैन मंदिर है। नीचे की मंजिल में एक श्यामवर्ण ढाई फुट ऊँची पार्श्वनाथजी की प्राचीन प्रतिमा है। जो वेदी के ऊपर अधर में विराजमान है।
खजुराहो: मध्यप्रदेश में छतरपुर से 7 मील। यह एक छोटा सा गाँव है। 31 दिगंबर जैन मंदिर हैं। यहाँ के प्राचीन मंदिरों की निर्माण कला दर्शनीय है।
द्रोणगिरि: मध्यप्रदेश में सेंधपा नामक गाँव है। निकटवर्ती स्टेशन गणेशगंज, सागर तथा लिधौरा हैं। यहाँ से गुरुदत्तादि मुनि मोक्ष गए हैं।
नैनागिरि: सेंट्रल रेलवे के सागर स्टेशन से 30 मील। सागर से मोटर दलपतपुर जाती है, वहाँ से 7 मील है। यहाँ से वरदत्तादि मुनि मोक्ष गए हैं।
कुण्डलपुर: सेंट्रल रेलवे की कटनी बीना लाइन पर दमोह स्टेशन से 24 मील। भगवान महावीर स्वामी की मनोज्ञ मूर्ति के माहात्म्य के संबंध में अनेक किंवदंतियाँ हैं। कुल 59 मंदिर हैं।
मुक्तागिरि: मध्यप्रांत के एलिचपुर स्टेशन से 12 मील पहाड़ी जंगल में है। यहाँ से साढ़े तीन करोड़ मुनि मोक्ष गए हैं।
मक्सी पार्श्वनाथ: सेंट्रल रेलवे की भोपाल उज्जैन शाखा में इस नाम का स्टेशन है। यहाँ से 1 मील पर एक प्राचीन जैन मंदिर है। उसमें पार्श्वनाथ की बड़ी मनोज्ञ प्रतिमा है।
सिद्धवरकूट: इंदौर से खंडवा लाइन पर मोरटक्का नामक स्टेशन से ओंकारेश्वर होते हुए अथवा सनावद से 6 मील पर है। यहाँ से दो चक्रवर्ती, 10 कामदेव एवं साढ़े तीन करोड़ मुनि मोक्ष गए हैं।
बड़वानी: बड़वानी स्टेशन से 5 मील पहाड़ पर यह क्षेत्र है। यहाँ के चूलगिरि पर्वत से इंद्रजीत और कुम्भकर्ण मुनि मोक्ष गए हैं।
बड़वानी: बड़वानी स्टेशन से 5 मील पहाड़ पर यह क्षेत्र है। यहाँ के चूलगिरि पर्वत से इंद्रजीत और कुम्भकर्ण मुनि मोक्ष गए हैं।
रामटेक: यह स्थान नागपुर से 24 मील पर है। यहाँ दिगंबर जैनों के आठ मंदिर हैं, जिनमें से एक प्राचीन मंदिर में सोलहवें तीर्थंकर श्री शांतिनाथ स्वामी की 15 फुट ऊँची मनोज्ञ प्रतिमा है।
खनियाधाना: मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले मे चन्देरी से ४० किलो मीटर दूर खनियाधाना है। यहा ४ मन्दिर है। चेतनबाग नामक स्थल पर नन्दीश्वर दीप की अदभुत रचना की गयी है। साथ ही पास मै ही गोलाकोट नामक स्थल दर्शनीय है। वहा सैकडो साल पुरानी जैन मूर्तिया स्थापित है। १ किलो मीटर पहाड के ऊपर जिन मन्दिर देखने योग्य है।
Source: http://en.wikipedia.org
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