परम पावन तीर्थराज सम्मेद शिखर जी

सम्मेद शिखर सिद्ध क्षेत्र - ईस्टर्न रेलवे के पारसनाथ स्टेशन से 14 मील (22 कि.मी.) तथा गिरीडीह स्टेशन से पहाड़ की तलहटी मधुवन 18 मील (30 कि.मी.) है । इस क्षेत्र ; से भूतकाल में अनन्तों तथा वर्तमान अवसर्पिणी काल में 20 तीर्थंकर एवं असंख्यात मुनि मोक्ष गये हैं, पहाड़ की चढ़ाई-उतराई तथा यात्रा 18 मील (30 कि.मी.) की है। पारसनाथ हिल और गिरिडीह से शिखरजी जाने के लिए मोटर मिलती है।
परम पावन तीर्थराज सम्मेदशिखर जी की वन्दना
यहाँ से इस अवसर्पिणी काल में भगवान श्री आदिनाथ जी, वासुपूज्य जी, श्रीनेमिनाथ जी एवं भगवान श्रीमहावीर स्वामी को छोड़ शेष 20 तीर्थंकर मोक्ष पधारे।  इस वन्दना में टोंकों का दर्शन क्रम इस प्रकार है :-
1 - श्रीकुन्थु नाथजी
2 - श्रीनमिनाथजी
3 - श्रीअरहनाथजी
4 - श्रीमल्लिनाथजी
5 - श्रीश्रेयांसनाथजी
6 - श्रीपुष्पदन्तजी
7 - श्रीपद्मप्रभुजी
8 - श्रीमुनिसुव्रतनाथजी
9 - श्रीचन्द्रप्रभजी
10 - श्रीआदिनाथजी (कैलाश)
11 - श्रीशीतलनाथजी
12 - श्रीअनन्तनाथजी
13 - श्रीसम्भवनाथजी
14 - श्रीवासुपूज्यजी (चंपापुर)
15 - श्रीअभिनन्दनजी
16 - श्रीधर्मनाथजी
17 - श्रीसुमतिनाथजी
18 - श्रीशान्तिनाथजी
19 - श्रीमहावीरजी (पावापुर)
20 - श्रीसुपार्श्वनाथजी
21 - श्रीविमलनाथजी
22 - श्रीअजितनाथजी
23 - श्रीनेमिनाथजी (गिरनार)
24 - श्रीपार्श्वनाथजी
भाव सहित वन्दे जो कोई |
ताहि नरक पशुगति नहिं होई |