जीवन
आकाश-सा हो
तो विस्तार
असीम है
आकाश-सा हो
तो विस्तार
असीम है
वृक्ष-सा हो
तो छाया
सघन है
तो छाया
सघन है
जीवन
सूरज-सा हो
तो रोशनी
हरदम है
सूरज-सा हो
तो रोशनी
हरदम है
जीवन में
आत्मीय स्पर्श हो
तो हर क्षण
स्वर्णिम है।
- मुनि क्षमासागर जी
आत्मीय स्पर्श हो
तो हर क्षण
स्वर्णिम है।
- मुनि क्षमासागर जी
ऐसे ही उनके आत्मीय स्पर्श की अनुभूति को संजोने के लिए मुनिश्री की दीक्षा स्थली नैनागिर जी में, उनके मुनि दीक्षा दिवस (20 अगस्त) के दिन एक संग्रहालय का लोकार्पण किया गया है उनकी अनुपस्थति के सूनेपन को भरने की पहल।