एक मंदिर के दरवाज़े

बहुत सुन्दर शब्द जो एक मंदिर के दरवाज़े पर लिखे थे। 
❝सेवा करनी है तो - घड़ी मत देखो❞

❝प्रसाद लेना है तो - स्वाद मत देखो❞
❝सत्संग सुनाना है तो - जगह मत देखो❞
❝बिनती करनी है तो - स्वार्थ मत देखो❞
❝समर्पण करना है तो - खर्चा मत देखो❞
❝रहमत देखनी है तो - जरूरत मत देखो❞

❝जीत❞ किसके लिए, ❝हार❞ किसके लिए,

❝ज़िंदगी भर❞ ये ❝तकरार❞ किसके लिए, 
जो भी ❝आया है वो ❝जायेगा❞ एक दिन यहाँ से,
फिर ये ❝इंसान❞ को इतना ❝अहंकार❞ किसके लिए।