हिंसा: मन, वचन, काया से किसी भी प्राणी को मारना, दुःख देना एवं स्वयं का घात करना भी हिंसा कहलाती है ।
हिंसा चार प्रकार की होती है:-
हिंसा चार प्रकार की होती है:-
संकल्पी हिंसा, आरम्भी हिंसा, उद्योगी हिंसा, विरोधी हिंसा।
संकल्पी हिंसा - संकल्प पूर्वक किसी भी प्राणी को मारने का भाव करना यह संकल्पी हिंसा है । संकल्प करने के बाद जीव मरे या न मरे पाप अवश्य ही लगता है । किसी जीव की बलि चढ़ाना, पुतला दहन करना, काष्ठादि में बने चित्रों को मारना, चिड़िया आदि आकार के गोली बिस्कुट खाना, वीडियो गेम में चिड़िया आदि को मारना संकल्पी हिंसा है ।
आरम्भी हिंसा - गृहस्थ को भोजन के लिए पानी भरना, अग्नि जलाना, हवा करना, वनस्पति छीलना बनाना, घर की सफाई करना, शरीर, वस्त्र आदि की सफाई में षट्काय जीवों की विराधना होती है । यह आरम्भी हिंसा होती है । श्रावक के लिए यह हिंसा क्षम्य है किंतु विवेक जयणा पूर्वक करें ।
उद्योगी हिंसा - श्रावक का जीवन धन के बिना नहीं चल सकता है । धन प्राप्ति के लिए वह खेती, व्यापार , सरकारी सेवा आदि कार्य करता है । इसमें जो हिंसा होती है, वह उद्योगी हिंसा है । यह भी श्रावक के लिए क्षम्य है । किन्तु विवेक और जयणा पूर्वक हो ।
विरोधी हिंसा - स्वयं की रक्षा, परिवार की रक्षा, समाज की रक्षा, संस्कृति की रक्षा, धर्म आयतनों की रक्षा एवं राष्ट्र की रक्षा के लिए किसी से युद्ध करना पड़ता है और युद्ध में कोई मर भी जाता है तो वह विरोधी हिंसा है । जैसे - लक्ष्मण ने रावण को मारा था । यह हिंसा भी श्रावक के लिए क्षम्य है । श्रावक का मात्र संकल्पी हिंसा का त्याग होता है। युद्ध परमार्थ और धर्म की रक्षा के लिए हो ।
उद्योगी हिंसा - श्रावक का जीवन धन के बिना नहीं चल सकता है । धन प्राप्ति के लिए वह खेती, व्यापार , सरकारी सेवा आदि कार्य करता है । इसमें जो हिंसा होती है, वह उद्योगी हिंसा है । यह भी श्रावक के लिए क्षम्य है । किन्तु विवेक और जयणा पूर्वक हो ।
विरोधी हिंसा - स्वयं की रक्षा, परिवार की रक्षा, समाज की रक्षा, संस्कृति की रक्षा, धर्म आयतनों की रक्षा एवं राष्ट्र की रक्षा के लिए किसी से युद्ध करना पड़ता है और युद्ध में कोई मर भी जाता है तो वह विरोधी हिंसा है । जैसे - लक्ष्मण ने रावण को मारा था । यह हिंसा भी श्रावक के लिए क्षम्य है । श्रावक का मात्र संकल्पी हिंसा का त्याग होता है। युद्ध परमार्थ और धर्म की रक्षा के लिए हो ।
साभार: पीयूष जैन, इंदौर