विश्व योग दिवस विशेषांक

क्षुल्लक श्री ध्यानसागर जी महाराज
जिनवाणी पुत्र क्षुल्लक श्री ध्यानसागर जी महाराज श्री की आध्यात्मिक साधना की ध्यान एवं योग के विषयक कुछ विशेष जानकारी ध्यान और योग जैन साधना के प्राण हैं। मन, वचन और काया का स्पन्दन शान्त करके योगी योग अर्थात् ध्यान के माध्यम से अपने लक्ष्य को प्राप्त करता है। पूज्य महाराज श्री के विषय में एक विशिष्ट जानकारी अपने गुरु से प्राप्त ध्यानसागर यह नाम आज जन-जन के हृदय में जिनवाणी का सच्चा ज्ञान प्रदान करानेवाले जिनवाणी पुत्र क्षुल्लक श्री ध्यानसागरजी महाराज के रूप में विराजमान है।अपने ३२ वर्षीय जैन दीक्षाकाल में महाराज श्री ध्यान के विशेष अनुभवों को प्राप्त करके अपना नाम सार्थक कर चुके हैं। उनकी साधना की ऊर्जा से अनेकों भक्तों और श्रद्धालुओं ने अपनी समस्याओ के अद्भुत समाधान प्राप्त किए हैं।विभिन्न आसनों और योग-प्राणायाम के माध्यम से वे अपनी शारीरीक ऊर्जा को अपनी साधना में विशेष रूप से उपयोग कर जैन साधना के निरंतर अभ्यास में रत हैं। उनका एकमात्र लक्ष्य है आगम का सच्चा ज्ञान जन-जन को प्राप्त हो। जिनशासन जयवंत हो। 
साभार: आगमधारा परिवार