नागपुर|रविवार का दिन रामटेक के धार्मिक इतिहास में स्वर्णाक्षरों से लिखा जाएगा। रविवार को राष्ट्रसंत आचार्यश्री विद्यासागर महाराज व संघस्थ 37 मुनि की चातुर्मास कलश स्थापना 25 हजार से अधिक जैन व जैनेत्तर अनुयायियों की उपस्थिति में की गई। अपने प्रथम उद्बोधन में आचार्यश्री ने कहा कि मंदिर बहुत हैं, लेकिन संस्कार देने के लिए प्रतिभास्थली खोलना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि नागपुर जैन समाज ने रामटेक में प्रतिभास्थली खोलने का आशीर्वाद मांगा था। मेरी भी यही इच्छा थी कि महाराष्ट्र के रामटेक में ही प्रतिभास्थली का निर्माण हो। वर्तमान में 250 बहनें ब्रह्मचर्य व्रत लेकर प्रतिभास्थली में शिक्षा को मूर्त रूप दे रही हैं। खुशी की बात है ये बहनें छात्राओं को अन्य सांसारिक शिक्षा के साथ संस्कार भी दे रही हैं।
प्रवचन के पूर्व दानदाताओं का चयन किया गया। प्रथम दानदाता का सौभाग्य राजस्थान से पधारे उद्योगपति अशोक पाटनी को प्राप्त हुआ। महेंद्र जैन रूपाली ने मोर पंख से निर्मित 50 वें संयम स्वर्ण महोत्सव का प्रतीक चिह्म अशोक पाटनी को भेंट किया। दानदाताओं ने आचार्यश्री को श्रीफल अर्पित कर आशीर्वाद लिया। मंदिर से कलशों की शोभायात्रा निकाली गई। प्रतिभास्थली की बच्चियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। रूपाली द्वारा मंच सज्जा की गई। प्रमुख दानदाताओं में अशोक पाटनी, काला परिवार मुंबई, प्रमोद जैन गुडलक, दिनेश अर्पित जोगानी, संतोष ठेकेदार, सुनतानगंज परिवार, मिल्टन परिवार, डा. सुभाष मुंबई, नवीन जैन दिल्ली आदि को मंगल कलश स्थापना का सौभाग्य प्राप्त हुआ। संचालन श्री दिगंबर परवार जैन मंदिर ट्रस्ट के मंत्री सत्येंद्र जैन, एड. अजीत जैन भोपाल व अजय अहिंसक, प्रकाश बैसाखिया, जिनेंद्र जैन लालाजी, राजेंद्र जैन, महेंद्र जैन, दिलीप भारिल ने किया। ज्ञानोदय सेवा संघ ने भोजन व्यवस्था तथा जैन वीर सेवा मंडल ने यातायात व्यवस्था संभाली। यह जानकारी प्रचार समिति के महेंद्र जैन रूपाली, राजू जैन वर्धावाले तथा अतुल मोदी ने दी।
मंदिर तो बहुत बन रहे हैं, और बनते रहेंगे, लेकिन हम अव सरस्वती मंदिर की ओर आगे बढ़ रहे है। आचार्यश्री ने वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर प्रहार करते हुये कहा कि आजकल जो शिक्षण दिया जा रहा हैं, वह किसी काम का नहीं हैं , पढ़े लिखे होने के उपरांत भी वह अपने जीवन को उन्नत नहीं बना पाते। उपरोक्त उद्गार संत शिरोमणी आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने रामटेक महाराष्ट्र में चातुर्मास कलश स्थापना के दौरान अपने आशीष वचन में कहे उन्होंने कहा कि वर्तमान में पढ़े-लिखे होकर के भी लाखों की संख्या में बेरोजगारी की ओर नौजवान बढ़ रहे हैं। पढ़ लिखने के पश्चात भी प्रबंधन सही नहीं होने से श्रम का सही उपयोग नहीं कर पा रहे है। "पहले के लोग अपने बच्चों को दायित्व सिखाते थे, लेकिन वर्तमान शिक्षा प्रणाली में दायित्व का अभाव हैं," आचार्य श्री ने कहा कि अच्छे संस्कारों के लिये अपने धन का सदुपयोग करना आपका कर्तव्य हैं, यदि व्यवस्थित कार्य करोगे तो आपके यहाँ दान दातारों की कमी नहीं है,जब तक कार्य पूरा नहीं होता तब तक भरोसा नहीं होता इसलिये जिन लोगों ने आज बोलियाँ ली हैं वह ११ माह में इस ओर ध्यान दें,उन्होंने कहा कि जीवित धन और जीवित चेतना की ओर हमारी दृष्टि हैं। जबलपुर हो या रामटेक या चंद्रगिरी। प्रतिभा स्थली तो हमारी सभी एक ही हैं, बच्चे संस्कारित हों यही आशीर्वाद हमारा प्रतिभा स्थली की ओर हैं। यहाँ पर ऐसी नींव और परंपरा शुरु हो रही हैं, जो वर्षों-बरस तक चलती रहे। उन्होंने कहा कि चाहे चंद्रगिरी हो या जबलपुर या रामटेक प्रतिभा मंडल तो एक ही होता हैं, इसमें हजारों बहनें प्रवेश पा जाएंगी। उन्होंने कहा विशेष दक्षता प्राप्त आदर्शमति माताजी और बहनों सहित जैन कालोंनी, इंदौर के लोग प्रबंध कर रहे है! इसमें मेरा कुछ भी नहीं है,गुरू महाराज जी का कहना था कि संघ को गुरूकुल बना देना, सो हम तो उनके उन आदेशों का ही पालन कर रहे है।गुरुकुल की उस परंपरा की ओर हम जा रहे है आचार्य श्री ने वर्तमान में सरकार द्वारा लागू GST के बारे में बताते हुये कहा कि यहाँ पर जी एस टी से घबराने की जरूरत नहीं है, हमारे यहाँ की जी एस टी अलग हैं, G मतलब गोमटसार S मतलव समयसार एवं T मतलव तत्वार्थसूत्र। इन तीनों को जो अपने ज्ञान में उतार लेगा उसका संपूर्ण कल्याण हो जाऐगा!उपरोक्त जानकारी अविनाश जैन विदिशा ने जिनवाणी चैनल के माध्यम से देते हुए बताया कि रामटेक में चातुर्मास कलश स्थापना का शानदार एवं जानदार कार्यक्रम संपन्न हुआ। भारतीय विद्यावाणी परिवार की ओर से भारत वर्ष के सभी भामाशाह एवं श्रेष्ठी वर्ग श्री अशोक जी पाटनी, श्री तरूण जी काला, श्री संतोष जी नागपुर, एवं सभी श्रेष्ठी वर्ग को बहुत बहुत बधाई एवं अनुमोदना। कार्यक्रम का सफल संचालन श्री अमित जी पड़रिया जबलपुर ने किया इस अवसर पर लाखों की संख्या में विभिन्न नगरों से आए भक्त जन उपस्थित थे वंही जिनवाणी चैनल के माध्यम से लाखों भक्तों ने इसे लाईव देखा।
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