अजमेर!उल्लेखनीय है कि इस कीर्ति स्तंभ को तैयार करने में करीब 4 माह लगे। स्तंभ के आसपास पत्थर दीवारों पर विद्यासागर महाराज से जुड़ी सजीव कहानी व्यक्त करती प्रतिमाएं उकेरी गई हैं। कीर्ति स्तंभ को लोकार्पण से पूर्व आकर्षक रोशनी से सजाया गया है। लगभग 50 वर्ष पूर्व अजमेर की धरा पर महाकवि आचार्य ज्ञान सागर महाराज ने ब्रह्मचारी विद्याधर को दिगंबरी दीक्षा प्रदान की थी, जो आज विश्व में आचार्य विद्यासागर महाराज के नाम से जाने जाते हैं।
महोत्सव के उपलक्ष्य में प्रसादी वितरण आज
विद्यासागर जी महाराज के 50वें संयम स्वर्ण जयंती महोत्सव के उपलक्ष्य में शनिवार को प्रसादी वितरण कार्यक्रम होगा। राजकुमार पाण्ड्या ने बताया कि अजमेर ओल्ड आयरन एंड मोटर पार्ट्स व्यापार संघ अजमेर एवं जैन व्यापारियों द्वारा प्रसादी वितरण शनिवार सुबह 11.15 बजे लाल कोठी आदिनाथ मार्ग केसरगंज में होगा।
बुराई तभी मिटती है, जब पिटती है।
जब कोई शिष्य गुरू के प्रति समर्पण करता है तो वह मिटने पिटने के लिए तैयार हो जाता है। जिस पात्र में खट्टी-छाछ भरी रही, उसमें शुद्ध दूध रखोगे तो वह भी खराब हो जाएगा। सुधासागर महाराज ससंघ ने शुक्रवार को धर्म सभा में कहा कि कुसंस्कारों की भूमि पर सुसंस्कारों का भवन तैयार नहीं होता। कुसंस्कारों की बंजर भूमि पर सुसंस्कारों का बीजारोपण फलीभूत नहीं होता। तुम्हें शक्कर का स्वाद तभी आएगा, जब अपने मुख से नमक की डेली निकाल दो। महाराज ने कहा कि मिटो वहीं, जहां तुम्हें सुंदर नया आकार मिले और पिटो वहीं, जहां जीवन साकार बने। अज्ञानी व्यक्ति का कल्याण उनकी अपेक्षा जल्द हो सकता है, जिन्होंने ज्ञान के नाम पर अज्ञान को बटोर लिया है। बुराई तभी मिटती है जब पिटती है।
साभार: अजय जैन