जबलपुर। त्रिपुर सुन्दरी मंदिर से प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव भगवान की प्रतिमा कुछ दिनो पूर्व भूमि से प्राप्त हुई थी 9 वी शताब्दी की यह प्रतिमा अभी त्रिपुर सुन्दरी मंदिर में रखी है जिसपर प्रशासन ने कब्जा कर रखा है, जबलपुर के आसपास 1 लाख से अधिक की जैन समाज है पर अभी तक प्रतिमा प्राप्ति के लिए समाज प्रशासन पर किसी तरह का दबाव नहीं बना रही यह आश्चर्यजनक है।
कुछ समय पूर्व ही खण्डेला, सीकर के पास मिली मूर्ति जब प्रशासन ने अपने कब्जे में ली तब समाज की जागृति व विश्व जैन संगठन द्वारा किए प्रयास की वजह से प्रतिमा समाज को देने के लिए प्रशासन तैयार हुआ, अगर जबलपुर की जैन समाज प्रयास न करेगी तो 2-3 दिन में जब मूर्ति संग्रहालय में चली जाएगी तब उसके मिलने की जो संभावना है वह भी खत्म हो जाएगी समाज को प्रतिमा प्राप्ति के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास करना चाहिए अन्यथा यह विशाल व मनमोहक जिनबिम्ब सदा के लिए संग्रहालय में कैद हो जाएंगे। हमारे पूर्वजो ने विशाल जिनालय बनवाएं और उनमें प्रतिमाएँ स्थापित करवाई लेकिन हमारी उदासीनता के चलते आज हमारी विरासत दूसरे लोगो के पास जा रही है, समाज को त्वरित बैठक आहूत करके आन्दोलन की घोषणा करनी चाहिए ताकि प्रतिमा जिनालय में विराजित हो।
साभार: पीयूष जैन, सागर