सभी प्राणियों में अद्धभुत आनन्द की अनुभूति।

अहोभाग्य छतरपुर जिले में, पंचमकाल में तीर्थंकर सम समवशरण आ रहा है। प्रथमानुयोग के शास्त्रों में पड़ते हैं कि जहां से तीर्थंकर का समवशरण विहार करता था उसके चारों ओर आनंद की बहार आ जाती थी। आज भी जब वर्तमान में समवशरण के रूप में आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज का विहार जिस ऒर होता है उसके चारों ऒर सभी प्राणियों में एक अद्भुत आनन्द की अनभूति होती है। आज समूचा छतरपुर जिला आनन्द की अनभूति कर रहा है। आओ सब मिलकर ऐसी अगवानी करें जो भूतो न भविष्यति।

रचना:भागचन्द जैन पीलीदुकांन बयड़ामलहरा।