अभिषेक कैसे करें?


सभी मूर्तियों का अभिषेक करने की परंपरा गलत है। साथ ही प्रतिमा की गादी (जहां भगवान विराजमान रहते हैं, उसे गादी कहते हैं) वहां अभिषेक करना गलत है, मूर्खता है। पूज्यवर माघनंदी जी महाराज ने स्पष्ट उल्लेख किया है, कि किसी एक प्रतिमा को उठाकर पांडुकशिला पर विराजमान करके ही अभिषेक करना चाहिए। अब यदि बड़ी मूर्ति है, नही उठाई जा सकती तो, उसकी गादी को मंत्र के द्वारा पांडुकशिला बनाकर, फिर अभिषेक करना चाहिए। कई लोग अभिषेक करते हैं, जिसके कारण मूर्तियां काली पड़ जाती हैं। इससे उन्हें बहुत अशुभ कर्म का उदय होता है।अभिषेक के पहले जैसी मूर्ति चमक रही है, वैसी ही बाद में भी चमकना चाहिए। अगर अभिषेक करते हो, तो मार्जन भी अच्छी तरह से करना चाहिए। प्रतिमा जी पर श्रावक को कभी अपना माथा नहीं रखना चाहिए। अपनी मात्र 3 उंगलियों से भगवान के चरणों को स्पर्श करके अपने माथे पर लगाना चाहिए। एक बार अपने शरीर से स्पर्श करने के बाद पुनः प्रतिमा को नहीं छूना चाहिए। एक भगवान के चरणों में लगे हाथ, दूसरे भगवान को नहीं लगाना चाहिए । हाथ धोने के बाद ही, आप दूसरे भगवान को छू सकते हो। आप मूलनायक के चरण छू रहे हैं, और आपकी कुक्षी (कांख, बाजू) के नीचे, यदि भगवान आ गए, तो यह महान दोष है। आप यदि सभी प्रतिमा जी के चरण छूने का पुण्य प्राप्त करना चाहते हो, तो सबसे अच्छा तरीका है, कि नीचे जो प्रतिमा विराजमान है, उसके चरण छूकर मूलनायक की ओर देखो आपको वही एनर्जी मिलेगी ,जो मूलनायक को छूने से मिलती है। उसके बाद आप सभी प्रतिमा जी की ओर दॄष्टि डालो, आपको सभी भगवानों के चरण छूने का पुण्य मिल जाएगा। अभिषेक करते समय ध्यान रखें, कि एक थाली में एक से ज्यादा भगवान नहीं रखना चाहिए। कभी एक भगवान का गंधोदक दूसरे भगवान पर नही पड़ना चाहिए। सबको आप ये बताए और उनको पाप से बचाए। 
- पूज्य गुरुदेव मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महामुनिराज