गुरु पूर्णिमा विशेष

आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु पूजा का विधान है। गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरम्भ में आती है। इस दिन से चार महीने तक परिव्राजक साधु-सन्त एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं। ये चार महीने मौसम की दृष्टि से भी सर्वश्रेष्ठ होते हैं। न अधिक गर्मी और न अधिक सर्दी। इसलिए अध्ययन के लिए उपयुक्त माने गए हैं। जैसे सूर्य के ताप से तप्त भूमि को वर्षा से शीतलता एवं फसल पैदा करने की शक्ति मिलती है, वैसे ही गुरु-चरणों में उपस्थित साधकों को ज्ञान, शान्ति, भक्ति और योग शक्ति प्राप्त करने की शक्ति मिलती है। मनुष्य जीवन में माता पिता और गुरु का महत्व विश्व भर में सर्वोपरि माना जाता है । माता पिता का इसलिये कि वे हमें जन्म देते हैं और गुरु इसलिये कि गुरू ही वास्तव में हमे मानव, इन्सान, मनुष्य बनाते है मनुष्यता, मानवीयता या इन्सानियत के संस्कार देते हैं। इस प्रकार गुरु हमे दूसरी बार जन्म देते हैं। भारत धर्म तथा संस्कृति प्रधान देश है और भारत ही क्या सारे विश्व में गुरू का स्थान ईश्वर के समान और कहीं कहीं तो ईश्वर से भी प्रथम पूज्यनीय बताया गया है। हमारी संस्कृति उन्हें केवल गुरु नहीं ‘‘ गुरू देव’’ कहती है। जैन धर्म में तो ‘‘गुरू की महिमा वरनी न जाय ‘‘ गुरूनाम जपों मन वचन काय‘‘ कहकर गुरू को पंच परमेष्ठि का स्थान दिया है। देव, शास्त्र, और गुरू की त्रिवेणी में करके ही मोक्ष महल में प्रवेश की पात्रता आती है और उसके फलस्वरूप संसार के आवागमन से मुक्ति मिलती है। गुरू हमारे जीवन से अज्ञान का अन्धकार मिटाकर एक नई दृष्टि देते हैं। उन्हीं की दृष्टि-यष्टि के सहारे हम ‘‘भव-वन’’ से सुरक्षित निकल कर इहलोक और परलोक सुधारते हैं।

अज्ञान तिमिरान्धानां ज्ञानांजन शलाकया ।
चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै: श्री गुरूवे नम:।।

गुरू की महिमा का वर्णन सात समुद्र की स्याही से भी सरस्वती, ब्रह्मा और वृहस्पति से भी? पूरी तरह नहीं किया जा सकता। आचार्य मानतुंग जैसे कवि कुलकमल ‘‘भक्तामर स्तोत्र’’ में अपने गुरु श्री भगवान के गुणों के समुद्र को पार करने में अपनी असमर्थता व्यक्त करते हुए कहते हैं। केवल जैन धर्म में ही नहीं विश्व के सभी धर्मों, संस्कृतियों, विश्वासों में गुरू को अप्रतिम, सर्वोपरि, सर्वोच्च मान्यता और स्थान दिया गया है
गुरुदेव के श्री चरणों में शत्-शत् नमन नमोस्तु भगवन नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु।

आईसपोर्टजैनिज़्म परिवार की ओर से आप सभी पाठकों को गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं। 
साभार: बहन रेखा जैन 

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